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नए खून का सैलाब

नए खून का सैलाब. डॉ सैबल जाना को समर्पित ये जोश की लहर है नए खून का सैलाब जय हिन्द, जय सत्य, जय जय इंक़िलाब झूठी ये सुर्खियां हैं झूठी खबर की ताब जय हिन्द, जय सत्य, जय जय इंक़िलाब जंजीरें कच्ची हैं  ये, खुलने   को बेताब जय हिन्द, जय सत्य, जय जय इंक़िलाब डूबेगा ये अँधेरा  चमकेगा महताब जय हिन्द, जय सत्य, जय जय इंक़िलाब -यूनुस

जनहित के हैं मुद्दे चार

जनहित के हैं मुद्दे चार । सड़क सुरक्षा और रोज़गार ॥ आज़ादी है पहला मुद्दा छूट गया जो ऊपर यार ॥ भूल गए हम आज ग़ुलामी और वो अंग्रेजी सरकार । नमक नहीं तोडा था गांधी ने वो अत्याचार ॥ स्वराज स्वदेशी पहले हैं फिर करो राष्ट्रवाद प्रचार ल

The Jungle in me

Visiting the jungle first time I realised its like me. The sunshine the river and the cool air, Reminds me of the freedom  everywhere. There is a tiger some where and couple of cuckoo, He is so scared of them, It does not seem true! And the bounce and  sharpness of a deer keeps  away all that is unwanted my dear ! Sometimes there is a lazy fearless crocodile  in here, Who does not care about anything any where. And the disorder mental stuff like entropy A millions of unorganized  green  canopy There is bit of dust and the rotten woods, But that's fine for the bugs like the organic goods. Whether it is long trail, or a  short gully All will end in dust eventually. Syed Mohammad Yunus

वो देखो फातिमा बड़ी हो गई....

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With Best Wishes. This was my daughters first birthday gift and my first to all daughter Fans. I think materialistic gifts and expectations from children have become a fashion, though everybody know in their heart how important and priceless are non material gifts like 'Prayers'. May be that's why we write with every gift "with best wishes''. ​वो  देखो   फातिमा बड़ी हो गई पैरों पे अपने खड़ी हो गई | वैसे तो पहले ही ऊँची बहुत थी कुछ  और नाक अपनी खड़ी हो गई ।। शरारत  में डूबे  ये नैना  तुम्हारे  हरारत  सी दिल में करे हैं हमारे। वो  चिड़िया, वो टॉफी  वो सीटी तमाम वो चाचू की गोदी वो दादा सलाम कुल  तीन एक बिलांक की तुम हो, मगर हर इक   अदा तुम्हारी  बनाए  ग़ुलाम । वो  देखो   फातिमा बड़ी हो गई... चटख हैं ये बादल से तेवर तुम्हारे खिलौने  हमारे हैं ये जेवर तुम्हारे। ये जेवर तुम अपने रखना संभल कर ज़माने के ख्वाबों से रखना बचा कर ।। ख्वाबों की दुनिया  से आगे निकल कर सवालों  जवाबों की जिद से निकल कर। तुम्हे रह चलनी  हैं  रहमत की सीधी अँधेरे उजालो

शंकर की सीरत

पिछली बार की तरह इस बार भी होली और ईद मिलादुन नबी साथ ही पड़ रहे हैं तकरीबन पूरा हिंदुस्तान रंगों और मिठाइयों की चाशनी में डूबा रहेगा हज़रात मोहम्मद (सल्) की सीरत पर तकरीरें और नात ख्वानी का सिलसिला आम होगा मस्जिदों में सजदे और मजारों में उर्स की भरमार होगी गुलाल और गुजिया के भोग से तबियत भर जायेगी लेकिन अबकी होली जब रंग उठाना, तो सोचना उन बच्चो के बारें में , जो स्टेशन पर रहते हैं, प्लास्टिक की खाली बोतलों के भरोसे जो शायद दिन भर भूके रहेगें क्योंकि उस दिन सारी ट्रेने खाली ही चलेंगी, बोतलों के बिना कुछ तो परिवार के साथ त्यौहार मनाने कि ख़ुशी की वजह से और कुछ गोबर और कीचड वाली देसी होली के कारण और अबकी बार जब सीरते रसूल को सुनना तो सोचना उस आठ साल के, एक हाथ वाले शंकर के बारे में जो पूछने पर कहता हैं " भय्या पच्चीस रुपए काफी हैं , दस दस मेरे और दानिश के लिए और पांच हमारे कुत्ते के लिए" यूनुस पिछले साल मेरे द्वारा शूट किया गया विडियो यहाँ देखें http://www.youtube.com/watch?v=Og5ouusK7ow
दोस्तों सलाम, मैं बहुत खुश हूँ की कल रात हमारी टी फॉर टेक्नोलॉजी की पहली मीटिंग हुई आज जब मैं हिन्दी टाइपिंग प्रयोग करने बैठा तो बहुत मज़ा आया ये तो सच में बहुत आसान हैं , अब मुझे कभी भी हिन्दी टाइप करने वालो के नखरे नहीं झेलने पड़ेंगे http://www.hindiyugm.com/ पर रोमन इंग्लिश को हिन्दी में लिखने का ये औजार बहुत ही कारामद है अब देखिये न सिर्फ़ पाँच मिनट मैं ये चिठ्ठा तयार हो गया इग्लिश मैं टाइप करने मैं ये मज़ा नही आता ! चलिए अब मैं आपको 'Tea for technology' के बारे में बताता हूँ कुछ अरसे से ये ख्याल मेरे मन मैं कुलबुला रहाथा की आजकल टेक्नोलॉजी इतनी तेज़ी से बदल रही है की हर किसी को लगातार सीखना ज़रूरी है मगर रोज़मर्रा की दोड़ धूप मैं इतना वक्त ही नही मिलता की खास तौर से कहीं जा के सीखें मन में ये सवाल उठा की ऐसा क्या करें की हमारी रफ्तार टेक्नोलॉजी की रफ्तार के साथ मिल जाए और इससे सीखना कुदरती लगे ?अब ये तो सब ही जानते हैं की जितनी अहम और मजे दार बातें चाय की प्याली के साथ होती हैं, वैसी भारी भरकम 'वर्कशॉप' वाली मीटिंग मैं नही होतीं और सीखने सिखाने का जो अम्ल है वो मज़

YES! poster for you

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This amazing poster was created by my younger brothers Aashish & Faisal. ENJOY!!